Best Ways to Save Money on Low Income: अगर आपकी सैलरी कम है और आपको हर महीने के अंत तक पैसों की तंगी महसूस होती है, तो यह आर्टिकल खास आपके लिए है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कुछ ऐसे स्मार्ट बजटिंग प्लान जो न सिर्फ आपकी जरूरतें पूरी करेंगे, बल्कि हर महीने थोड़ी बचत भी करवाएंगे। इसके अलावा आपको पैसे बचाने के ऐसे तरीको के बारें में जिसके बारें अधिकतर लोगो को पता भी नहीं है इसके अलावा कुछ ऐसे भी तरीके बतानेवाले है जो न तो किताबों में लिखे हैं और न ही फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स आसानी से हर किसी को बताते हैं। अगर आप चाहते हैं कि कम सैलरी में भी बड़ी समझदारी से खर्च करें और अपने भविष्य के लिए मजबूत फाइनेंशियल प्लान बनाएं, तो आइए कम सैलरी में पैसे बचाने के उन स्मार्ट तरीकों के बारें में जानतें है। उसे पहले जानतें है की आखिर क्यों हर महीने के अंत में क्यों होती है पैसों की कमी होती है।
हर महीने के अंत में क्यों होती है पैसों की कमी?
हर महीने के अंत में पैसों की तंगी होना उन लोगों के लिए आम समस्या है जिनकी सैलरी कम होती है। जैसे-जैसे महीने का अंत आता है, ज़रूरतों और खर्चों की लंबी लिस्ट जेब पर भारी पड़ने लगती है। इसका मेन वजह बिना सही बजटिंग के हर छोटी-मोटी ज़रूरत भी बड़ा खर्च बन जाती है। EMI, किराया, राशन, बच्चों की फीस और मेडिकल खर्च जैसे ज़रूरी खर्चों के बाद बचत तो दूर, कई बार उधारी की नौबत आ जाती है। ऐसे में ज़रूरत है स्मार्ट बजटिंग प्लान की—ऐसे तरीके जो न सिर्फ खर्चों को काबू में रखें, बल्कि हर महीने थोड़ी-बहुत बचत भी कराएं।
ऐसे बनाएं कम सैलरी में स्मार्ट बजट जो हर जरूरत पूरी करे
कम सैलरी में भी स्मार्ट बजट बनाना कोई मुश्किल काम नहीं है, बस थोड़ी समझदारी चाहिए। सबसे पहले अपनी मासिक सैलरी और खर्चों की लिस्ट बनाएं। जरूरत और शौक में फर्क समझें। फालतू सब्सक्रिप्शन, बाहर खाने और ऑनलाइन शॉपिंग पर कंट्रोल करें। हर महीने कम से कम 20% सेविंग के लिए अलग से पैसा निकालें। ज़रूरी चीजों के लिए फिक्स बजट तय करें और उससे बाहर न जाएं। EMI या क्रेडिट कार्ड से बचें, और कैश ट्रांजैक्शन पर भरोसा रखें। छोटे निवेश जैसे RD या पोस्ट ऑफिस स्कीम से शुरुआत करें। यही स्मार्ट बजटिंग आपको फाइनेंशियल आज़ादी दिलाएगी।
कम सैलरी में पैसे बचाने के तरीके जो किताबों में भी नहीं मिलेंगे?
कम सैलरी में जीवन जीना अपने आप में एक चुनौती है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप पैसो की बचत नहीं कर सकते। दरअसल, सही बजट प्लानिंग और समझदारी से खर्च करने की आदतें आपके फाइनेंशियल फ्यूचर को मजबूत बना सकती हैं। इस लेख में हम बात करेंगे उन पैसे बचाने के तरीके बारें और स्मार्ट बजटिंग स्ट्रेटेजीज़ की, जो खासतौर पर कम सैलरी वालों के लिए बनाई गई हैं – और यकीन मानिए, ये तरीके आपको आम किताबों में नहीं मिलेंगे।
1. बजट बनाएं
जब हम हर महीने की शुरुआत में अपना बजट बनाते हैं, तो हमारा मकसद होता है कि हम अपनी सैलरी को सही तरीके से खर्च करें और कुछ बचत भी कर सकें। लेकिन अगर हम अपना बजट गैर-हकीकत (unrealistic) तरीके से बनाएंगे—यानि जितनी सैलरी है, उससे ज्यादा खर्च का प्लान बनाएंगे—तो महीने के अंत में पैसों की तंगी होनी तय है।
50-30-20 रूल क्या है?
यह एक लोकप्रिय और आसान बजटिंग फॉर्मूला है जो आपको आपके बजट बनाने में काफी मदद करेंगा। इसके अलावा यह आपकी सैलरी को तीन हिस्सों में बांटने की सलाह देता है:
- 50% जरूरतों पर खर्च करें: जैसे किराया, राशन, बिजली का बिल, स्कूल फीस, मेडिकल खर्च आदि—ये वे चीज़ें हैं जो ज़रूरी हैं और जिनके बिना काम नहीं चल सकता।
- 30% इच्छाओं पर खर्च करें: जैसे मूवी देखना, बाहर खाना खाना, घूमना-फिरना या ऑनलाइन शॉपिंग—ये वो खर्च हैं जो आपके जीवन को एंजॉय करने के लिए होते हैं, लेकिन ये ज़रूरी नहीं होते।
- 20% सेविंग और निवेश करें: यही हिस्सा आपके भविष्य को सुरक्षित करता है। आप इसे FD, RD, म्युचुअल फंड या इमरजेंसी फंड जैसे साधनों में निवेश कर सकते हैं।
2. छोटी बचत’ को नजर अंदाज न करें
₹10, ₹20 या ₹50 जैसी छोटी बचत बचाते हैं, तो हमें लगता है कि इससे कोई बड़ा फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन यही सोच सबसे बड़ी गलती होती है। ये छोटी-छोटी रकम अगर हम लगातार बचाते रहें, तो समय के साथ ये एक बड़ी राशि में बदल सकती हैं।
एक आसान उदाहरण से समझिए:
अगर आप हर दिन सिर्फ ₹20 बचाते हैं —
- तो महीने में आप ₹600 बचा लेंगे (₹20 × 30 दिन)
- और साल भर में ₹7,200 हो जाएंगे।
अब सोचिए, अगर आप ये पैसा कहीं Recurring Deposit (RD) या Savings Plan में लगाते हैं, तो उस पर आपको ब्याज भी मिलेगा और आपकी रकम और बढ़ेगी।
छोटी बचत को अपनाने के कुछ आसान तरीके:
- जेब खर्च से ₹10-₹20 हर दिन निकालकर अलग रखें।
- कोई भी छुट्टे पैसे (coins, छोटे नोट) एक गुल्लक में डालें।
- डिजिटल वॉलेट में मौजूद बची राशि को सेविंग अकाउंट में ट्रांसफर करें।
छोटी रकम को कभी भी हल्के में न लें। जैसे बूंद-बूंद से सागर भरता है, वैसे ही ₹10, ₹20 की बचत से आप एक मजबूत आर्थिक स्थिति बना सकते हैं। आज से ही शुरुआत करें – चाहे कम हो, लेकिन नियमित बचत करें।
3. Cash में खर्च करें, UPI कम करें
आज के समय में ऐसे बहुत कम लोग होंगे जो दुकान पर या ऑनलाइन खरीदारी करते समय UPI (PhonePe, Google Pay आदि) या डेबिट/क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल न करते हो ऐसा इसलिए क्योंकि UPI के माध्यम से किया गया। पेमेंट एक ही क्लिक या स्कैन से कट जाता है। इस प्रोसेस में आपको पैसे खर्च करने का एहसास कम होता है, क्योंकि आप फिजिकल रूप से पैसे देते नहीं हैं। इसी वजह से लोग बिना सोचे-समझे ज्यादा खर्च कर देते हैं।
उदाहरण से समझिए:
मान लीजिए आपके पास ₹5,000 हैं।
- अगर आप कैश में रखेंगे, तो हर बार जब आप कुछ खरीदेंगे, आपको नोट निकालने पड़ेंगे। इससे आपको हर खर्च का फिजिकल एहसास होगा और आप सोचेंगे:
“क्या वाकई ये जरूरी है?” - लेकिन जब आप UPI से पेमेंट करेंगे, तो बिना नोट छुए पैसा चला जाएगा।
“बस स्कैन किया, पेमेंट गया, और खर्च पता ही नहीं चला।”
कैश खर्च करने के फायदे जानें: Cash vs UPI vs Credit Card: पैसों की बचत में कौन सा पेमेंट तरीका है सबसे बेहतर?
UPI या कार्ड से खर्च के नुकसान:
- खर्च का अंदाज़ा नहीं होता – बहुत बार महीने के अंत में बैंक स्टेटमेंट देखकर झटका लगता है।
- लगातार छोटे खर्च भी बड़ा अमाउंट बन जाते हैं – जैसे ₹100-₹200 की चीजें बार-बार खरीदना।
अगर आपकी आदत ज्यादा खर्च करने की है, तो UPI या कार्ड की बजाय कैश में खर्च करना शुरू करें। यह एक तरह का मनोवैज्ञानिक ट्रिक है जो आपकी फालतू खरीदारी पर ब्रेक लगाता है और बजट मैनेजमेंट आसान बनाता है।
4. जरूरत और चाहत में फर्क समझें
अगर आप भी अपनी जरूरत और चाहत में फर्क नहीं समझेंगे तब तक आप बचत और अपने पैसे का सही इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। इसलिए आपको सबसे पहले ये समझना होगा। जैसे कि जरूरत और चाहत में फर्क क्या होता है। यही वो बुनियाद है, जो आपकी बचत की शुरुआत तय करती है। तो आइए अब जानतें है जरूरत और चाहत में फर्क क्या होता है:
जरूरत और चाहत में फर्क क्या है?
- जरूरत: ये वो चीजें होती हैं जो जीवन जीने के लिए अनिवार्य होती हैं — जैसे खाना, रहने की जगह, दवाइयाँ, बिजली-पानी, बच्चों की फीस या आने-जाने का खर्च।
- चाहत: ये वो चीजें हैं जो हमारे जीवन को बेहतर और सुखद बनाती हैं, लेकिन इनके बिना भी जीवन चल सकता है — जैसे महंगे कपड़े, नए मोबाइल फोन, बार-बार बाहर खाना, ब्रांडेड सामान या लक्ज़री छुट्टियाँ।
क्यों जरूरी है ये फर्क समझना?
अगर आप इस फर्क को नहीं समझते हैं, तो आपकी सैलरी का बड़ा हिस्सा बिना सोचे-समझे खर्च हो जाएगा — और अंत में बचत शून्य।
- चाहतें कभी खत्म नहीं होतीं — एक पूरी हुई, दूसरी आ जाती है।
- लेकिन जरूरतें सीमित और स्पष्ट होती हैं — इन्हें पूरा करना जरूरी होता है।
कैसे अपनाएं ये सोच?
- बजट बनाते वक्त सबसे पहले जरूरतों को लिस्ट करें।
- हर खर्च पर खुद से पूछें – क्या ये वाकई जरूरी है?
- अगर पैसा बचे तभी किसी चाहत पर खर्च करें।
- बचत को जरूरत की तरह मानें – पहले बचत करें, फिर खर्च।
नतीजा क्या मिलेगा?
- आप हर महीने बचत कर पाएंगे।
- इमरजेंसी में पैसा हाथ में होगा।
- फालतू खर्चों पर कंट्रोल आएगा।
- धीरे-धीरे फाइनेंशियल सिक्योरिटी बढ़ेगी।
अगर आप जरूरत और चाहत में फर्क नहीं करेंगे, तो आपकी सैलरी कभी भी स्थिर नहीं हो पाएगी। इसलिए आज से ही तय करें — “पहले जरूरतें, फिर अगर बजट बचे तो चाहतें।
5. सेल और ऑफर का सही इस्तेमाल करें
अगर आप खरीदारी के दौरान बचत करना चाहतें है तो आप महीने की शुरुआत में ज़रूरी सामान जैसे राशन, टॉयलेटरीज़, किचन आइटम्स आदि को थोक में खरीदने से आपको प्रति यूनिट कीमत में बचत होती है। लेकिन ध्यान रखें कि आप सिर्फ इसलिए चीजें न खरीदें क्योंकि वे ऑफर में हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कई बार हम ऐसी चीजें भी ले आते हैं जो ज़रूरत में नहीं होतीं, सिर्फ इसलिए क्योंकि उन पर “50% छूट” या “Buy 1 Get 1” लिखा होता है। ये बेवजह का खर्चा होता है और बजट बिगाड़ सकता है। इसलिए आपको ये तय करना चाहिए कि:
- क्या यह चीज़ वाकई आपके लिए ज़रूरी है?
- क्या इसका स्टोरेज आपके पास है?
- क्या यह खराब होने वाली चीज़ तो नहीं?
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स जैसे Amazon, Flipkart, BigBaske और Meesho पर आप वीकली या मंथली डील्स पर नज़र रखें। वहीं लोकल मार्केट या किराना स्टोर्स में भी हर महीने कुछ न कुछ ऑफर चलते रहते हैं, बस सही समय पर सही जानकारी होनी चाहिए।
इन स्मार्ट टिप को अपना लीजिए:
- ऑफर्स से पहले अपनी ज़रूरतों की लिस्ट बनाएं।
- बजट तय करें और उसी के अंदर खरीदारी करें।
- बेस्ट डील पाने के लिए प्राइस कम्पेरिजन करें।
इस तरह सेल और ऑफर्स का समझदारी से इस्तेमाल कर आप महीने के खर्चों में काफी कटौती कर सकते हैं। और कम सैलरी में भी पैसे बचा सकते हैं।
6. अपनी सैलरी बढ़ाने के तरीके ढूंढें
यदि आपकी सैलरी कम है, तो खर्चों को मैनेज करना और बचत करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। लेकिन अगर आप अपनी सैलरी बढ़ाने के विकल्प तलाशें, तो न सिर्फ बजट मैनेजमेंट आसान हो जाता है बल्कि आप फाइनेंशियल रूप से भी सुरक्षित महसूस करते हैं। यहां हम बात कर रहे हैं कुछ आसान, लेकिन असरदार तरीकों की जिससे आप एक्स्ट्रा सैलरी कमा सकते हैं तो आइए जानतें है आप अपनी सैलरी को कैसे बढ़ा सकते है वो कौन से 3 तरीके हैं:
1. वीकेंड फ्रीलांसिंग करें:
अगर आप वीकेंड्स पर फ्री रहते हैं, तो अपनी स्किल्स को फ्रीलांसिंग में बदल सकते हैं। ये आपकी सैलरी को बढ़ा देंगें लेकिन शुरुआत कहा से करें
यहां से करें शुरुआत, इतनी होगीं सैलरी:
- अगर आप ग्राफिक डिजाइनिंग, कंटेंट राइटिंग, या वीडियो एडिटिंग जानते हैं तो Fiverr, Upwork, Freelancer जैसी साइट्स पर काम पा सकते हैं।
- इससे हर वीकेंड 1000-3000 रुपये की एक्स्ट्रा सैलरी की संभावना बनती है।
2. ऑनलाइन Tutoring शुरू करें:
यदि आपकी किसी सब्जेक्ट में अच्छी पकड़ है (जैसे Maths, Science, English), तो आप अपने बच्चों को ऑनलाइन ट्यूशन दे सकते हैं।
इन प्लेटफॉर्म्स शुरू Tutoring:
- Vedantu, Chegg, Unacademy, Byju’s या Zoom के ज़रिए घर बैठे क्लासेस दे सकते हैं।
- ये काम 1-2 घंटे प्रतिदिन करके 5000-15000 रुपये महीना कमा सकते हैं।
3. पार्ट-टाइम जॉब या गिग वर्क अपनाएं:
आपके पास कुछ घंटे रोज़ या हफ्ते में बचे हैं? तो डिलीवरी पार्टनर, डेटा एंट्री ऑपरेटर या सोशल मीडिया असिस्टेंट जैसी पार्ट-टाइम नौकरियाँ कर सकते हैं।
उदाहरण के लिए:
- Zomato, Swiggy, Amazon Flex जैसे प्लेटफॉर्म्स पर रजिस्टर कर के 4-5 घंटे की शिफ्ट में 8,000-12,000 रुपये कमा सकते हैं।
- Local shops, malls या cafés में भी कुछ घंटे की शिफ्ट्स मिल सकती हैं।
कम सैलरी में केवल खर्चों को काटना ही उपाय नहीं है, सैलरी बढ़ाने के छोटे-छोटे रास्ते खोजने से ही असली फाइनेंशियल फ्रीडम की शुरुआत होती है। आज के डिजिटल युग में फ्रीलांसिंग, ऑनलाइन ट्यूटरिंग और पार्ट-टाइम जॉब्स जैसे विकल्प हर किसी के लिए उपलब्ध हैं – बस जरूरत है आपके थोड़ा समय देने और शुरुआत करने की।
7. सेविंग के लिए ऑटोमैटिक सिस्टम बनाएं
क्या आपने कभी “ऑटो-सेविंग मोड” के बारे में सुना है हमें कमेंट में जरूर बताएं। आपको बतादें ऑटो-सेविंग मोड का मतलब यह है कि आपकी सैलरी (income) का एक हिस्सा हर महीने बिना किसी मैन्युअल प्रयास के अपने आप सेविंग में चला जाए। यह तरीका आपकी आदतों पर निर्भर नहीं करता, बल्कि एक फिक्स सिस्टम पर चलता है — जिससे आप कंसिस्टेंट सेविंग कर पाते हैं।
ऑटो-सेविंग के फायदे क्या हैं?
- डिसिप्लिन अपने आप आता है: जब हर महीने तय राशि सेविंग में अपने आप ट्रांसफर हो जाती है, तो आप उसे खर्च करने की गलती नहीं करते।
- “पहले सेविंग, फिर खर्च” की आदत: अधिकतर लोग खर्च करने के बाद जो बचता है उसे सेव करते हैं, लेकिन ऑटोमैटिक सिस्टम से आप पहले सेव करते हैं और फिर जो बचे उससे खर्च करते हैं।
- मानसिक शांति: सेविंग में पैसा जाता देख आपको भरोसा होता है कि आप भविष्य के लिए तैयार हो रहे हैं।
- लॉन्ग टर्म गोल्स आसानी से पूरे होते हैं: शादी, घर, बच्चों की पढ़ाई या रिटायरमेंट जैसे बड़े खर्चों के लिए अगर शुरुआत से ही ऑटो सेविंग हो तो फंडिंग आसान हो जाती है।
ऑटो-सेविंग मोड एक्टिव कैसे करें?
- ऑटोमैटिक बैंक ट्रांसफर सेट करें: सैलरी आते ही एक तय राशि RD, SIP या सेविंग अकाउंट में अपने आप ट्रांसफर हो जाए — इसके लिए आप Net Banking या मोबाइल ऐप से Standing Instruction दे सकते हैं।
- SIP (Systematic Investment Plan): हर महीने फिक्स डेट पर आपके अकाउंट से निवेश की राशि कट जाती है और म्यूचुअल फंड में लगती है।
- Recurring Deposit (RD): हर महीने एक तय राशि बैंक में जमा होती है और मैच्योरिटी पर आपको ब्याज समेत वापस मिलती है।
- UPI AutoPay और Fintech ऐप्स: जैसे Groww, Zerodha, ET Money, Paytm Money आदि से आप SIP और सेविंग प्लान्स में ऑटो डेबिट चालू कर सकते हैं।
कितना पैसा सेव करें?
- आपकी सैलरी का कम से कम 20% हिस्सा सेविंग के लिए तय करें।
- शुरुआत में 10% भी चलेगा, लेकिन जैसे-जैसे सैलरी बढ़े, सेविंग की राशि भी बढ़ाएं।
अगर आप हर बार सेविंग को टालते रहते हैं तो “ऑटो-सेविंग मोड“ ही आपकी सबसे बड़ी मदद बन सकता है। यह आदत नहीं, सिस्टम पर काम करता है — जिससे सेविंग रुकती नहीं, लगातार बढ़ती रहती है।
8. फ्री या सस्ते Entertainment प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करें
महंगे सिनेमाघरों की बजाय आप YouTube जैसे फ्री प्लेटफॉर्म पर वीडियो देख सकते हैं। Netflix, Amazon Prime जैसे OTT प्लेटफॉर्म्स के फ्री ट्रायल का फायदा उठाएं। इसके अलावा लोकल मेले, सांस्कृतिक इवेंट्स, कॉलेज फेस्ट और फ्री पॉडकास्ट्स भी बढ़िया मनोरंजन का जरिया हो सकते हैं – वो भी बिना ज्यादा खर्च किए।
इन फ्री प्लेटफॉर्म का उपयोग करें
- YouTube पर फ्री में मनोरंजन: कॉमेडी, मूवीज, म्यूजिक, वेब सीरीज – सब कुछ फ्री में उपलब्ध है।
- OTT प्लेटफॉर्म्स के फ्री ट्रायल्स लें: Netflix, Prime Video, Zee5 जैसे ऐप्स पर फ्री ट्रायल या मोबाइल प्लान में फ्री सब्सक्रिप्शन का फायदा उठाएं।
- लोकल इवेंट्स और स्ट्रीट शो का मजा लें: लोकल फेस्टिवल, मेलों और ओपन-एयर शोज़ में शामिल होकर बिना ज्यादा खर्च किए एंटरटेनमेंट पाएं।
- बुक्स और फ्री गेम्स का इस्तेमाल करें: फ्री ई-बुक्स, ऑडियोबुक्स या मोबाइल गेम्स से खुद को एंटरटेन करें।
- मोबाइल डेटा प्लान के साथ फ्री OTT: Jio, Airtel जैसे नेटवर्क्स अपने प्लान में कई OTT का फ्री एक्सेस देते हैं – उसे मिस न करें।
मनोरंजन जरूरी है, लेकिन उसकी कीमत ज्यादा नहीं होनी चाहिए। अगर आप थोड़ा क्रिएटिव सोचें और मुफ्त या कम कीमत वाले विकल्पों की तलाश करें, तो आप न सिर्फ पैसे बचा सकते हैं, बल्कि बेहतर और विविध अनुभव भी पा सकते हैं।
9. फाइनेंशियल डायरी शरू करें
अगर आपकी सैलरी आते ही चली जाती है तो आपको फाइनेंशियल डायरी को शरू करना चाहिए अगर हम फाइनेंशियल डायरी की बात करें तो यह एक व्यक्तिगत रिकॉर्ड बुक या डिजिटल फाइल होती है, जिसमें आप अपनी दैनिक, साप्ताहिक या मासिक सैलरी (Income), खर्च (Expenses), बचत (Savings), और निवेश (Investments) की जानकारी दर्ज करते हैं। इसका उद्देश्य है अपने पैसे के आने-जाने पर नजर रखना और बेहतर वित्तीय निर्णय लेना।
फाइनेंशियल डायरी में क्या-क्या शामिल करें?
- सैलरी का स्रोत: सैलरी, फ्रीलांसिंग, ब्याज, किराया, आदि।
- खर्च का विवरण: किराया, राशन, EMI, बिजली बिल, ट्रांसपोर्ट, मेडिकल, मनोरंजन।
- बचत और निवेश: SIP, PPF, RD, FD, म्यूचुअल फंड, स्टॉक्स, गोल्ड।
- ऋण और EMI ट्रैकिंग: कौन-कौन से लोन चल रहे हैं और कितनी EMI बची है।
- साप्ताहिक/मासिक रिपोर्ट: महीने का कुल खर्च Vs सैलरी, बचत प्रतिशत, टॉप खर्च वाले सेक्शन।
कैसे शुरू करें फाइनेंशियल डायरी?
- नोटबुक या डिजिटल ऐप: आप चाहे तो एक साधारण डायरी में या एक्सेल शीट में शुरू करें, या फिर मोबाइल ऐप जैसे Money Manager, Walnut, GoodBudget आदि का इस्तेमाल करें।
- डेली एंट्री करें: हर दिन की सैलरी और खर्च उसी दिन नोट करें। आदत बनाएँ।
- हर हफ्ते/महीने रिव्यू करें: देखें कि आपने कितना खर्च किया, कहाँ कम कर सकते हैं और बचत कितनी हुई।
फाइनेंशियल डायरी आपकी सैलरी और खर्चों को समझने का सबसे कारगर तरीका है। यह आपको न सिर्फ पैसे की कद्र करना सिखाती है, बल्कि बेहतर भविष्य के लिए आर्थिक रूप से तैयार भी करती है।
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10. इमरजेंसी फंड जरूर बनाएं
इमरजेंसी फंड एक ऐसा पैसा होता है जिसे आप सिर्फ और सिर्फ अचानक आने वाली जरूरतों जैसे—बीमारी, नौकरी छूटना, एक्सिडेंट, या किसी और बड़ी अनहोनी—के लिए बचाकर रखते हैं। इसका मकसद है कि जब कोई भी आपातकालीन स्थिति आए, तो आपको कर्ज न लेना पड़े या जरूरी खर्चों के लिए किसी और के आगें हाथ फैलाने की जरूरत न पड़े।
कम सैलरी वालों के लिए क्यों जरूरी है?
आपको बतादें की कम सैलरी वालों के लिए Emergency Fund और भी ज्यादा जरूरी है क्योंकि:
- उनका मासिक बजट पहले से ही सीमित होता है।
- छोटी-सी मेडिकल इमरजेंसी भी पूरे बजट को बिगाड़ सकती है।
- नौकरी या सैलरी बंद होने पर तुरंत आर्थिक संकट आ सकता है।
कैसे बनाएं इमरजेंसी फंड?
- ₹1000 से शुरुआत करें: शुरुआत में ज्यादा बचत न हो पाए तो भी ₹1000 अलग रखें। ये पहला कदम है।
- हर महीने थोड़ा-थोड़ा जोड़ें: मसलन, ₹500-₹1000 हर महीने अलग खाते में रखें जो खर्च के लिए न हो।
- टारगेट रखें: 3 महीने की सैलरी: मान लीजिए आपकी मासिक सैलरी ₹15,000 है, तो इमरजेंसी फंड का लक्ष्य होगा ₹45,000। आप 12-15 महीनों में इसे आराम से जोड़ सकते हैं।
- अलग अकाउंट में रखें: इसे किसी अलग सेविंग अकाउंट या फिक्स्ड डिपॉजिट में रखें ताकि खर्च करने का मन न हो।
- इसे कभी रोजमर्रा की जरूरतों में इस्तेमाल न करें: यह पैसा केवल इमरजेंसी के लिए है—बिल्कुल आखिरी तरीका है।
कम सैलरी में इमरजेंसी फंड बनाना मुश्किल जरूर है, लेकिन नामुमकिन नहीं है। इसकी शुरुआत छोटी हो सकती है, लेकिन इसका असर बहुत बड़ा होता है। यही आपकी फाइनेंशियल सेफ्टी नेट है। आज ही ₹1000 से शुरुआत करें, कल यह आपको बड़ी मुसीबत से बचा सकता है।
निष्कर्ष
अंत में, कम सैलरी होने का मतलब यह नहीं कि आप पैसे नहीं बचा सकते या फाइनेंशियल रूप से सुरक्षित नहीं बन सकते। ऊपर बताए गए स्मार्ट बजटिंग टिप्स—जैसे 50-30-20 रूल अपनाना, जरूरत और चाहत में फर्क समझना, छोटी बचत को गंभीरता से लेना, कैश में खर्च करना, और ऑटो-सेविंग सिस्टम बनाना—आपके पैसे के बेहतर इस्तेमाल की शुरुआत हैं।
इसके साथ ही, अगर आप अपनी सैलरी बढ़ाने के छोटे रास्ते तलाशें, जैसे फ्रीलांसिंग, ट्यूटरिंग या पार्ट-टाइम जॉब्स, तो आप अपने बजट को और मजबूत बना सकते हैं। फाइनेंशियल डायरी और इमरजेंसी फंड जैसे आदतें आपको भविष्य की अनिश्चितताओं से बचाने में मदद करेंगी। याद रखिए, बचत कोई बड़ा कदम नहीं, बल्कि एक निरंतर आदत है, जो आपको समय के साथ फाइनेंशियल फ्रीडम की ओर ले जाती है।
FAQ:
कम सैलरी में इमरजेंसी फंड क्यों जरूरी है और कैसे बनाएं?
कम सैलरी वालों के लिए इमरजेंसी फंड बेहद जरूरी है। आप ₹1000 से शुरुआत कर सकते हैं और हर महीने ₹500-₹1000 जोड़ते हुए 3 महीने की इनकम का बैकअप बना सकते हैं।
सेल और ऑफर में क्या सच में बचत होती है
अगर आप पहले से ज़रूरतों की लिस्ट बनाकर और प्राइस कम्पेयर करके खरीदारी करते हैं, तो हां, ऑफर्स में बचत संभव है। लेकिन बिना ज़रूरत की चीजें ऑफर में लेना सिर्फ फालतू खर्च है।
क्या क्रेडिट कार्ड और EMI से बचना चाहिए?
अगर आपकी इनकम कम है, तो EMI और क्रेडिट कार्ड से दूरी बनाकर रखें। ये आपको फाइनेंशियल स्ट्रेस में डाल सकते हैं। कैश या डेबिट कार्ड से खर्च करना बेहतर होगा।
अगर आपकी सैलरी ₹20,000 है तो या जानें बजट कैसे बनाएं? 5 आसान तरके जिनके बारें में हर कोई नही जानता!
आपको यह जानकारी कैसी लगी? क्या आप भी इन तरीकों को अपनाने जा रहे हैं? हमें कमेंट में जरूर बताएं!